मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ... (2)
जहाँ मेरे अपने सिवा कुछ नाही .... (2)
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ... (2)


पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको ....
पता जब लगा मेरी ..
पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको...(2)
सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नाही ....(2)
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आ ..आ ...आई ..(2)

सभी में सभी में पड़ा मैं ही मैं हूँ ...(3)
सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नाही....(2)
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आ ..आ ...आई ...(2)
मुझे मेरी मस्ती ....

न दुःख है न सुख है, ना है शोक कुछ भी .....
अजब है ये मस्ती (2) या कुछ नाही ..
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई ...(4)

ये सागर ये लहरें ये फेन ये बुदबुदे ..... (2)
कल्पित है (2) जल के सिवा कुछ नाही ...(2)
मुझे मेरी मस्ती कहा लेके आई ...(4)

मैं हूँ आनंद, आनंद हैं ये मेरा ......
भ्रम है, ये द्वन्द है, मुझाको हुआ है ...(2)
हटाया जो उसको खफा कुछ नाही ,,,,,
मुझे मेरी मस्ती कहा लेके आई ...(4)

ये पर्दा है दुई का,हटा कर जो देखा ... (2)
तो बस एक मैं हूँ .... (3), जुदा कुछ नाही ...
मुझे मेरी मस्ती कहा लेके आई ...(4)