थाली भर कर ल्याई रे खिचडो ऊपर घी की बाटकी,
जीमो म्हारा श्याम धणी, जिमावे बेटी जाट की, ।
बाबो म्हारो गाँव गयो है, ना जाने कद आवे लो ।
उके भरोसे बेठयो रहयो तो, भुखो ही रह जावेलो ।
आज जिमाऊँ तने खिचडो, काल राबडी छाछ की
जीमो म्हारा श्याम धणी........
बार बार मन्दिर न जडती बार बार मै खोलती
कईया कोनी जीमै रे मोहन, करडी करडी बोलती ।
तु जीमे जद मै भी जीमूँ, मानु ना कोई बातकी ।
जीमो म्हारा श्याम धणी.......
परदो भूल गई साँवरियाँ, परदो फेर लगायो ह ।
धाबलिये री औल बैठकर, श्याम खीचडो खायो ह
भोला भाला भकतां से , साँवरिया कैयां आंट की
जीमो म्हारा श्याम धणी..........
भक्ति हो तो करमा जैसी, साँवरियो घर आवेलो
सोहनलाल लोहाकर प्रभु का हर्ष हर्ष गुण गावेलो
साँचो प्रेम प्रभु से हो तो, मुरत बोले काठ की
जीमो म्हारा श्याम धणी..........
थाली भर कर ल्याई र खिचडो ऊपर घी की बाटकी,
जीमो म्हारा श्याम धणी, जिमावे बेटी जाट की, ।