मकराने की बनी हवेली दोनो और किवाडी
गोपीनाथ विराजे दाएं बाएं है त्रिपुरारी
रे शिखर ध्वजा लहरावे प्यारी
हो डोडी पर हनुमान विराजे कर रया रे रखवारी

मेरे श्याम की हवेली बड़ी सुंदर अलबेली
बनवाई है कन्हैया चितचोर चोर ने
बैठे श्याम प्रभु दिलवाले देखो कैसे ठाठ निराले
बनवाई है कन्हैया चितचोर ने 


सोने को सिंघासन देखो छत्र लटके न्यारो
हीरा मोती मानक जड़या लागे प्यारो प्यारो
रे जया पे बिराजे महारो खाटू वालो
भक्त हिलावे पंखा खड़या डोरी रेशम वाली।
मैरे श्याम की

रे हेली के पिछवाड़े देखो फुला री फुलवारी
गेंहू चना बाजरा की है खेती न्यारी न्यारी
हो लहराती देखो हर डाली
वीरे गाजर मूली ओर पपीता खेतो में हरियाली।
मेरे श्याम की