मरुधर में जोत जगाय गयो, बाबो धोली धजा फराय गयो

मारो सांवरियो गिरधारी, बन्यो पचरंग पेचा धारी 

 भक्ता रे खातिर, अजमल घर अवतार लियो

 कसुमल केसरिया, जामा रो सिणगार करयो

 मरुधर में जोत जगाय गयो ,,,,,,,,,,,


राजा अजमल पुण्य कमायो, थाने पुत्र रूप में पायो

(थाने पुत्र रूप में पायो)

 मेंना दे लाड लडायो, मायड़ बंन दूध पिलायो

(ममता को दूध पिलायो)

बादर वारी दूज ने आही गयो, चांदनीयासू चमकाय गयो 

 बाई सुगना आरती गावे, डाली बाई भजन सुनावे

श्री लक्ष्मी रूप नेतल के, संघ में ब्याव करियो 

कसुमल केसरिया, जामा रो सिणगार करयो

मरुधर में जोत जगाय गयो ,,,,,,,,,,,


बाबो हिंदवापीर कहवायो, रुणिचा नगर बसायो

(रुणिचा नगर बसाय)

कोई उंचो ना कोई नीचो,सब भेदभाव मिटवायो

(सब भेदभाव मिटवायो)

थोथी थरिया में आई गयो, तंदूरेे रा तार बजाय गयो

रामो निकलंग नेजाधारी, लिला घोड़ा की असवारी

 कलयुग में बाबो, पगलिया ने पुजवा ही गयो

कसुमल केसरिया, जामा रो सिणगार करयो

मरुधर में जोत जगाय गयो ,,,,,,,,,,,



बिछडोड़ा मित मिलावे, बाबो इसक देव कहावे

 (बाबो इसक देव कहावे )

भगता री लाज बचावे, जो ध्यावे परचो पावे

( जो ध्यावे परचो पावे)

हरजी भाटी गुण गाय गयो, गोपालो शरने आए गयो

शरणे आयो डा, भक्ता रो उद्धार करियो 

कसुमल केसरिया, जामा रो सिणगार करयो

मरुधर में जोत जगाय गयो ,,,,,,,



रचयिता श्री गोपाल जी बजाज

 संकलनकर्ता पवन लाहोटी