गाँव गयो दुजा जिमोजी कांई आंट की
कर्मा म्हारो नाम
ओ ही है म्हारो गाँव में बेटी जाटकी
---बाबो म्हाने भोलाय
मन्दिर खोल बुवारो में दिन्यो
लाई धोलकी गाय रो दुध
प्रभु जी थे मुढो़ धोय कर पिल्यो
थे जिमो खिचडो़ आज
घी की कांई बात
कढी़ में लाई छाछ की---कर्मा म्हारो नाम
२ काल थारे तांई सिरो बणास्यु
पाणी मिठोडे़ कुवे रो लास्युं
मूंगा री दाल जामे घी नाल
थाने छोटा छोटा फलका जिमाऊ
थाने भावे सो थे ले लिज्यो
मने कह दिज्यो
शर्म कांई बात री---कर्मा म्हारो नाम
३ थारे ओर कांई हुकम बजाऊ
थे जिमल्यो तो रोटी में भी खाऊं
थारे धाबलिये रो परदो लगाऊं
पिठ फोर खडी़ मे होजाऊँ
कान्हो रूच रूच भोग लगावे
देखती जावे सूरतिया प्रेम की--कर्मा
४ थारे ओर काई कांई मे लाऊँ
थे जिमल्या तो हाथ धुलाऊं
काल थे तो जिमण बेगा आईज्यो
में तो डोवे री राबड़ी बणास्युं
कान्हो केवे आज में जाऊँ
काल बेगो आऊँ
प्रेम की बात है---कर्मा म्हारो नाम
५ बाबो बाहर गाँव सू आयो
कर्मा सारो हाल सूणायो
बाबो बडो़ अचम्भो करीयो
कर्मा के बो आयो आयो
आ गया मोहन मिट गया भर्म कथन शिव लाल का--कर्मा म्हारो नाम