चाँद चढ्यो गिगनार,
किरत्यां,
ढल आई आधी रात पिवजी,
अब तो घरां पधार,
मारूड़ी थारी बिलखे छे जी,
बिलखे छे।
हाथा मेहंदी राचणी,
कोई नैना काजल घाल्यो जी,
ले दिवलो चढ़ घी को बाले,
मरवड पलंग सवारयो जी
बेठी मनरो मार गोरि,
का आया नहीं भरतार,
मारूड़ी थारी बिलखे छे जी,
बिलखे छे।
ज्यों ज्यों तेल बले दिवले में,
ढल बाती सरकावे जी,
नहीं आया मनबसियो रसियो,
दिवलो नाड हिलावे जी
दिवलो क्यूँ झुंझलाए गोरी ने,
दिवलो दियो बुझाय,
मारूड़ी थारी बिलखे छे जी,
बिलखे छे।
सिसक सिसक कर गोरी रोवे ,
तकियों कालो करियो जी,
उगते सूरज रसियो आयो,
हाथ पीठ पर धरियो जी,
कठे बिताई सारी रात,
थाने उग आयो परभात
मारूड़ी थारी बिलखे छे जी,
बिलखे छे।
हाथ छिटक कर गोरी बोली,
अब क्यूँ घरां पधारया जी,
सौतन के संग रात बिताई,
कर कर कोड सवाया जी,
कठे बिताई सारी रात,
थे तो, कर दीन्यो परभात
मारूड़ी थारी बिलखे छे जी,
बिलखे छे।
उक चुक क्यूँ बोलो गोरी,
मत न देवो ताना जी,
साथीडा संग रात बिताई,
खेलया चौपड़ पासा जी,
बठे बिताई सारी रात म्हाने,
उग आयो परभात,
गोरी जी म्हारा मुस्काओ जी , मुस्काओ
चाँद चढ्यो गिगनार,
किरत्यां,
ढल आई आधी रात पिवजी,
अब तो घरां पधार,
मारूड़ी थारी बिलखे छे जी,
बिलखे छे।