दोहा: दूंदाला दुख भंजना, सदा उजाला भेस
सारा पहली सुंमरीयों, गौरी पुत्र गणेश
मेंरा विघ्न हरो महाराज,
मनाऊं में आज गजानंद प्यारा, गिरिजा के लाल दुलारा.......
पहले मैं तुझे मनाता फिर ध्याऊ शारदा माता
मेरे कंठ पे आए विराजो, हंसअसवारा गिरिजा ......
थारे सोए मुकुट हजारी, ओर रिद्धि सिद्धि आज्ञाकारी
थे सब देवन सरताज, करो निस्तारा गिरिजा के.......
थारे सोए दुन्द दुन्धाला और गले वैजयंती माला
थारे एकदंत और सूंड शोए भुज चारा गिरिजा के........
सब भक्तों तुझे मनावे , तेरे चरणों में शीश नवा वे
मेरी नैया पड़ी मझधार करो भवपारा गिरजा के..............