तर्ज:- फिरकी वाली तू कल फिर आना


आवे सपना, सपना में नाचे काबा

लागी हैं भीड़ अपार जी

चालो चालोनी देशाणै दरबार जी 



1. गाँव सुवाप में जन्म लियो थे, चारण कुल रो मान बठयो...

रूप सोवणो थारो मैया जी, लागे म्हाने प्यारो जी

लाल चुनड़ी ......

लाल चुनड़ी सोहे थारे, लागे म्हाने प्यारी

सिंह सवारी मैयाजी थे विराजो, त्रिशूल लिया हाथ जी

चालो चालोनी देशाणै दरबार जी 


2. सात्तम ने फेरी थारे निकले, स्वर्गलोक सुं प्यारी जी

जग-मग हो रही जोत दिवले में , चमक रयो दरबार जी 

नेड़ीजी भी.....

नेड़ीजी भी धाम कहायो, ओरण लागे फेरी 

खाली झोली जो दर पे थारे लावे, भर देवो भरमार जी 

चालो चालोनी देशाणै दरबार जी 


3. संकट मे है आज थारी गईया, आई विपदा भारी जी

जीवनदान दियो  थे गाय ने , आकर फिर सुं देओनी 

संकट काटो......

संकट काटो कष्ट मिटावो, राजी सबने राखो 

बिगड़ी 'पवन' की थे ही बनाओ , लगावो बेड़ो पार जी

चालो चालोनी देशाणै दरबार जी