तर्ज:- ओ फिरकी वाली तू फिर कल आना


ओ रिधू बाई..... सांची सुरराई 

ओ मात मेहाई

पूरो थे मन की आस जी.....

ओ म्हानै थारो मां घणो विश्वास जी




देशाणै थारो भवन सुहाणो, भगतां रा जठै भाग जगै

शीश झुका आवै नर नारी, सबरा बिगड्या काम बणै

मां ममताली..... ध्याबल वाली 

सगती बीसभुजाली

ओ सब बातां, सेवक की राखो

लोवडवाली लाज जी.....

ओ म्हानै थारो मां घणो विश्वास जी




दूर देशां सूं थारै आवै रै जातरू, लाल धजा मां ले हाथां

बैठ थारै चरणां में बोलै, बालक मनडै री बातां

मैया सुणज्यो .... शरणै लीज्यो

दुख काटो सुख दीज्यो 

है सुखदायी, थारी शरणाई 

बैठाल्यो चरणां पास जी

ओ म्हानै थारो मां घणो विश्वास जी




निज मंदिर में जौत जगामग , बावन थारै द्वार रमै

बारह मास बहै थारी किरपा, दीपै श्री मढ़ सूर समै

मढ़ देशाणो.... धाम सुहाणो

सेवग पाय ठिकाणो

मां मेहाई...... हरै विपदाई 

खुशियां री दे सौगात जी

ओ म्हानै थारो मां घणो विश्वास जी




अंबा एक आसरो थारो, अटल भरोसो भारी जी

नित उठ मैं थारी करूं चाकरी, मां जिंदगानी सारी जी

जय जगजननी.... मां सुख शरणी 

काज भगत रा करणी 

प्रांजल ध्यावै , मां गुण नित गावै 

अंतस में करो उजास जी 

ओ म्हानै थारो मां घणो विश्वास जी